फर्जी नौकरी देने वाला ठग गिरोह, सरगना सुजीत सिंह को गिरफ्तार करने की मांग

फर्जी नौकरी देने वाला ठग गिरोह, सरगना सुजीत सिंह  को गिरफ्तार करने की मांग
उड़ीसा एवं उत्तर प्रदेश में सक्रिय एक ठग गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जिसका मास्टर माइंड सुजीत सिंह गिरोह "रेड ऐक्सन विंग" (RAW) नाम की एक फर्जी संस्था बनाकर लोगों को नौकरी देने का झांसा दे रहा था। गिरोह के सदस्य अपनी फर्जी संस्था के नाम पर पढ़े लिखे बेरोजगार युवकों एवं महिलाओं से 5000-15000₹ वसूल कर उन्हें महीने के 15 से 30 हजार रुपये तक की सैलरी देने का वादा कर भर्ती कर रहे थे। इसके लिए वे गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की तस्वीरों का इस्तेमाल
raidactionwing.com वेबसाइट पर कर रहे थे, ताकि लोगों को विश्वास में लिया जा सके। इसके अलावा वे भारत सरकार का लोगो छपे लेटर पैड पर संस्था के नाम से पत्र भी जारी करते थे।
जब उड़ीसा पुलिस ने इस धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया, तो कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन गिरोह का मास्टरमाइंड सुजीत सिंह जो कि "उत्तर प्रदेश राज्य के निदेशक" के रूप में खुद को पेश करता था, गिरफ्तार होने से बचने में कामयाब रहा। सुजीत सिंह खुद को बड़े अधिकारियों का करीबी बता कर अपने रुतबे का प्रचार करता था और दूसरों को डराने-धमकाने का कोई मौका नहीं छोड़ता था।
अनीता देवी नामक एक दलित महिला ने बताया कि जब उसने अपना चार महीने का वेतन मांगा, तो उसे अश्लील और जातिसूचक शब्दों का सामना करना पड़ा और साथ ही फर्जी मुकदमे में फंसा देने की धमकी दी गई। मिर्जापुर जिले के पत्रकार जगदीश निषाद और संगमराज पांडेय ने भी बताया कि उन्हें 15 हजार और 25 हजार रुपये महीने की नौकरी देने के नाम पर इस फर्जी संस्था से जोड़ा गया था। जब एक संवाददाता ने गिरोह के मास्टरमाइंड सुजीत सिंह से इस संबंध में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की, तो उसने धमकी देते हुए कहा कि बड़े-बड़े मंत्री और पुलिस अधीक्षक उसकी मदद करते हैं और वह किसी भी अखबार में छपी खबर से डरता नहीं है।
हालांकि, अखबारों में खबरें प्रकाशित होने के बाद यह गिरोह कुछ समय के लिए निष्क्रिय हो गया था, लेकिन जब पुलिसिया कार्रवाई नहीं हुई तो गिरोह का मास्टरमाइंड सुजीत सिंह का मनोबल बढ़ा जिससे पुनः अवैध गतिविधियों में सक्रिय होगया, संस्था के सदस्यों के अनुसार केवल गांजा बेचने वालों का ही अपने सदस्यों से जानकारी मांगता, बाद में उन्हें अपने साथ मिला लेता था, वही फिर से अपना अभियान शुरू कर दिया। एक स्थानीय पत्रकार के माध्यम से संगमराज पांडेय और जगदीश निषाद जुड़े थे दोनो को 10 नवंबर 2024 तक वेतन देने का वादा किया, लेकिन अभी तक इन लोगों को भुगतान नहीं किया गया।इसके बाद मिर्जापुर पुलिस के पास एक फर्जी शिकायत भेजी गई, जिसमें न तो उसका पता था और न ही कार्यालय का। जब यह मामला सामने आया, तो कई पीड़ितों ने मिर्जापुर पुलिस अधीक्षक के पास अपनी शिकायतें दर्ज कराई।
13 जनवरी 2025 को इस गिरोह की तरफ से न्यायालय का एक नोटिस भेजा गया, लेकिन उसमें न तो मुकदमे का कोई नंबर था और न ही शिकायतकर्ता का कोई पता था। सूत्रों से जानकारी मिली है कि सुजीत सिंह ने अपनी पहचान छुपाने के लिए कई जगहों पर अलग-अलग पते दिए हैं और अपना सही पता कभी नहीं देता। उसके आधार कार्ड पर तेलंगाना का पता था, लेकिन पुलिस को दिए गए पत्रों में वह कोई स्थायी पता नहीं देता था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गाजीपुर जिले के गांव कृतसिंहपुर थाना शादियाबाद का रहने वाला है।
इस मामले से यह स्पष्ट हो गया है कि यह गिरोह लोगों को धोखा देने के लिए फर्जी सरकारी संस्थाओं का नाम इस्तेमाल कर रहा था। पुलिस इस गिरोह के सरगना और अन्य आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है, ताकि इस मामले में और खुलासे किए जा सकें और पीड़ितों को न्याय मिल सके।

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