"जाको राखे साइयां मार सके ना कोय"

"जाको राखे साइयां मार सके ना कोय"
नसीराबाद, रायबरेली। बाबा परमान तिवारी धाम बभनपुर में हो रही श्रीमद्भागवत कथा में ध्रुव चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कथा व्यास धर्मेश हरि महाराज ने कहा कि बच्चों को संस्कार दीजिए। अभिवादनशील और वृद्धों की सेवा करने वाले व्यक्ति की आयु,विद्या और कीर्ति बढ़ती है। उन्होंने बताया कि महाराज उत्तान पाद के सुरुचि और सुनीति नामक दो रानियां थीं जो नाम के अनुरूप ही आचरण करती थीं।
सुनीति के पुत्र ध्रुव को पिता की गोद से उतार कर सुरुचि ने भगाया तो ध्रुव की मां ने परम पिता की शरण में जाने को कहा और अंत में उन्होंने कठिन तपस्या करके भगवान का प्यार पा लिया।
विद्वान प्रवाचक ने भक्त प्रहलाद और भगवान के नरसिंहावतार की रोचक कथा सुनाई तो श्रोताओं के आंसू छलक पड़े। उन्होंने कहा कि "जाको राखे साइयां मार सके ना कोय"। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर भक्तों का झूम झूम कर नाचना बड़ा मनोरम दृश्य उत्पन्न कर रहा था। 
श्रीमती रजाऊ, श्याम बहादुर सिंह बबलू, मनोज द्विवेदी, जयंती प्रसाद द्विवेदी, अंबिका प्रसाद द्विवेदी, राजीव द्विवेदी, अवधेश तिवारी, दिवाकर सिंह, हौसला प्रसाद यादव, ध्रुवराज यादव, राजेश यादव, डॉ.सावंत कुमार यादव, श्रीमती निर्मला, श्रीमती लक्ष्मी, श्रीमती सरोज, श्रीमती मंजू आदि सैकड़ों लोगों ने कथा सुनकर पुण्य लाभ अर्जित किया।

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