पराली जलाने वालों पर होगी कार्यवाही।

पराली जलाने वालों पर होगी कार्यवाही।
नसीराबाद, रायबरेली। छतोह ब्लॉक के लगभग सभी गांवों में किसान धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ने के अलावा जमीन की उर्वरा शक्ति भी घट रही है।  कृषि विभाग के अधिकारी कार्रवाई करने के बजाय चुप्पी साधे बैठे हैं। छतोह के अब्दुमऊ, संडहा,छतोह,गढ़ा,डीघा, मखदूमपुर, चंदाबांहीपुर, कोलवा ,कुंवरमऊ,काजीपुर तेलियानी, भेलिया, कांटा आदि गांवों में किसानों ने एक सप्ताह में सैकड़ों बीघे पराली जला दी। छतोह के कृषि बीज भंडार के प्रभारी इंद्र पाल सिंह ने बताया कि  पराली जलाने से खेतों की ऊपरी सतह पर मौजूद सूक्ष्म जीवाणु, केंचुए और जैविक पदार्थ नष्ट हो जाते हैं। ये जीवाणु मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। लगातार पराली जलाने से जमीन की भुरभुरी संरचना खराब हो जाती है और उसकी जल धारण क्षमता घटती है। इसके अलावा, मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, सल्फर आदि जलकर खत्म हो जाते हैं, जिससे भविष्य में फसल की पैदावार पर बुरा असर पड़ता है।पराली जलाना पर्यावरण और भूमि दोनों के लिए बेहद नुकसानदेह है। इससे जमीन की जैविक गुणवत्ता कम हो जाती है और लंबे समय में किसान खुद को घाटे में पाते हैं। विभाग लगातार किसानों को जागरूक करने का प्रयास कर रहा है। किसानों को पराली प्रबंधन के लिए मशीनों जैसे हैप्पी सीडर और सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम के उपयोग के लिए प्रेरित किया जा रहा है। साथ ही, ग्राम स्तर पर जागरूकता शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं। जल्द ही पराली जलाने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई भी की जाएगी।

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