रामनगरी ने रचा इतिहास,288 सालों के बाद हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन ने शाही जुलूस के साथ किया रामलला का दर्शन*

*रामनगरी ने रचा इतिहास,288 सालों के बाद हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन ने शाही जुलूस के साथ किया रामलला का दर्शन*
अयोध्या। 30 अप्रैल को अयोध्या धाम ने‌ इतिहास रच दिया।अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर रामनगरी में पहली बार ऐसा अद्भुत आयोजन हुआ,जिसे आने वाली पीढ़ियां भी गर्व से याद करेंगी। 288 सालों बाद हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन प्रेमदास जी महाराज ने शाही जुलूस के साथ रामलला का दर्शन किया।

सुबह 7:30 बजे यात्रा हनुमानगढ़ी से शुरू हुई और सरयू में स्नान पूजन के राम मंदिर तक ग‌ई,इसमें हाथी,घोड़े,बैंड-बाजा और विशाल जनसमूह शामिल रहा।शाही जुलूस का 51 स्थानों पर फूल बरसाकर स्वागत किया गया।यह रामनगरी की धार्मिक परंपराओं में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है,जिसमें विभिन्न समुदायों ने भी भागीदारी की।इस ऐतिहासिक यात्रा ने अयोध्या में एक नई एकता और सद्भाव का संदेश दिया।

बता दें कि हनुमानगढ़ी के निशान के साथ प्रेमदास जी महाराज सरयू घाट पहुंचे और सरयू नदी में पवित्र स्नान कर दूध से सरयू का अभिषेक किया।इसके बाद 11 मीटर लंबी चुनरी चढ़ाकर पूजन सम्पन्न किया गया।इसके बाद रामपथ से होकर यह भव्य यात्रा राम मंदिर परिसर की ओर बढ़ी।जगह-जगह फूलों की बारिश और स्वागत समारोहों ने इस यात्रा को और भी भव्य बना दिया। 51 स्थानों पर फूल बरसाकर स्वागत किया गया। रामनगरी के साधु-संतों और भक्तों में इस अनोखे क्षण को लेकर जबरदस्त उत्साह रहा।

बताते चलें कि धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन को भगवान हनुमान का प्रतिनिधि माना जाता है और वह अपने जीवनकाल में कभी भी हनुमानगढ़ी की 52 बीघा की सीमा से बाहर नहीं जाते,लेकिन प्रेमदास जी महाराज की इच्छा और पंचायत के निर्णय के बाद इस ऐतिहासिक पहल को स्वीकृति मिली।ये एक बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक परिवर्तन है,जो रामनगरी की परंपराओं में नई ऊर्जा का संचार करता है।राम मंदिर के गेट नंबर 3 पर पहुंची शाही यात्रा का स्वागत बाबरी पक्षकार इकबाल अंसारी ने फूलों से किया। इकबाल ने कहा कि यह अयोध्या की परंपरा है और आज हमने भी इस परंपरा का स्वागत किया है।इस ऐतिहासिक मौके पर जिला प्रशासन भी सक्रिय रहा। डीएम निखिल कुमार और एसएसपी राजकरण नय्यर ने भी फूलों की बारिश की और यात्रा का स्वागत किया।

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